संस्कृत साहित्य / Sanskrit Literature

संस्कृत साहित्य / Sanskrit Literature


वैदिक व लौकिक संस्कृत साहित्य / Vedic & Laukik Sanskrit Literature

वैदिक वाङ्गमय

जब हम वैदिक वाङ्गमय की बात करते हैं तो सर्वप्रथम हमें वेद ही नजर आते हैं, क्योंकि वेद ही ऐसे ग्रन्थ हैं जो संसार के सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। ऋग्वेद संसार का सबसे पुराना ग्रन्थ है, यह बात तो सारी दुनिया मानती है। परन्तु हम भारतीयों की दृष्टि में तो वेद स्वयं परमात्मा प्रदत ज्ञान हैं, अतः हम तो चारों वेदों को ही सृष्टि के प्रथम ग्रन्थ मानते हैं।

वेद क्या हैं ?

 वेद संस्कृति, विज्ञान, शिक्षा के मूलाधार है। वेद विद्या के अक्षय भण्डार और ज्ञान के अगाध समुद्र है। संसार में जितना भी ज्ञान, विज्ञान, कलाएँ हैं, उन सबका आदिस्रोत वेद है।

 वेद में मानवता के आदर्शों का पूर्णरूपेण वर्णन है। सृष्टि के आरम्भ में मनुष्यों का पथ-प्रदर्शन वेदों के द्वारा ही हुआ था। वेद न केवल प्राचीन काल में उपयोगी थे अपितु सभी विद्याओं का मूल होने के कारण आज भी उपयोगी है और आगे भी होगें। मनुष्यों की बुद्धि को प्रबुद्ध करने के लिए उसे सृष्टि के आदि में परमात्मा द्वारा चार ऋषियों के माध्यम से वेद ज्ञान मिला।

 ये वेद चार हैं, जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद के नाम से जाने जाते हैं।

वैदिक वाङ्गमय के इतिहास के अनुसार देखने से पता चलता है कि वेद को चार विभागों में बांटा गया है। 
1. संहिता 2. ब्राह्मण 3. आरण्यक और 4. उपनिषद्
वेद चार हैं और चारों वेदों की अलग - अलग अनेक संहितायें हैं।
नीचे वेद संहिताओं के नाम दिए जा रहे हैं।

1.ऋग्वेद 

1.संहिता

1. शाकल
2. बाष्कल
3. आश्वलायन
4. शांखायन
5. माण्डूकायन

2. ब्राह्मण

1. ऐतरेय
2. शांखायन / कौषीतकि

3. आरण्यक

1. ऐतरेय 
2. कौषीतकि
3. बाष्कल

4. उपनिषद्

1. ऐतरेय 
2. कौषीतकि
3. बाष्कल

2. यजुर्वेद 

1.संहिता

1. माध्यन्दिन
2. काण्व
3. कठ
4. कपिष्ठल
5. तैत्तिरीय
6. मैत्रायणी

2. ब्राह्मण

1. शतपथ
2. तैत्तिरीय
3. मैत्रायणी
4. कठ
5. कपिष्ठल

3. आरण्यक

1. बृहदारण्यक
2. तैत्तिरीय
3. मैत्रायणी

4. उपनिषद्

1. ईशोपनिषद्
2. बृहदारण्यकोपनिषद्
3. तैत्तिरीयोपनिषद्
4. मैत्रायणी उपनिषद्
5. श्वेताश्वतरोपनिषद्
6. कठोपनिषद्

3. सामवेद संहिता

1. कौथुमीय
2. राणायनीय
3. जैमिनीय


4. अथर्ववेद संहिता

1. पिप्पलाद
2. शौनक
3. मौदमहाभाष्य
4. स्तौद
5. जाजल
6. जलद
7. ब्रह्मवेद
8. चारणवैद्य
9. देवदर्श

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