साथी हाथ बढ़ाना....






साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।
एक अकेला थक जायेगा,
मिल कर बोझ उठाना।।
साथी हाथ बढ़ाना...
                   
                       1.
हम मेहनतवालों ने जब भी मिलकर कदम बढ़ाया।
सागर ने रस्ता छोड़ा, परबत ने सीस झुकाया।
फ़ौलादी हैं सीने अपने, फ़ौलादी हैं बाहें।
हम चाहें तो पैदा करदें, चट्टानों में राहें।।
साथी हाथ बढ़ाना...
                     
                          2.
मेहनत अपने लेख की रेखा, मेहनत से क्या डरना।
कल गैरों की खातिर की, आज अपनी खातिर करना।
अपना सुख भी एक है साथी, अपना दुःख भी एक।
अपनी मंजिल सच की मंजिल अपना रस्ता नेक।।
साथी हाथ बढ़ाना...
                       
                           3.
एक से एक मिले तो कतरा बन जाता है दरिया।
एक से एक मिले तो ज़र्रा बन जाता है सेहरा।
एक से एक मिले तो राई बन सकती है परबत।
एक से एक मिले तो इन्सां, बस में कर ले किस्मत।
साथी हाथ बढ़ाना...


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